फिर फिर गया अरमानों पर पानी, शासन ने निकायों पर बढ़ाई फिर से निगरानी, प्रशासकों का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा
- चुनाव के लिए दावेदारों ने खर्च कर डाले लाखों रुपये, नगर निगम से लेकर नगर पंचायतों पर जमीन से लेकर अासमान तक दावेदारों से लगा दिए पोस्टर, बैनर
देहरादून: एक बार फिर निकाय चुनाव की तैयारी कर रहे दावेदारों काे सरकार ने जोर का झटका दे दिया है। कहां तो सरकार दीपावली से पहले निकाय चुनाव के गठन की बात कह रही थी, और शनिवार को एक झटके में सभी जगह प्रशासकों का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है। ऐसे में तमाम दावेदारों में मायूसी छा गई है।
रुड़की नगर निगम को छोड़ दे तो सभी निकायों का कार्यकाल पिछले वर्ष पूरा हो गया था। तब से लेकर अब तक शासन की ओर से दो बार प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है। मामला उच्च न्यायालय में है। न्यायालय में पिछले दिनों सरकार की ओर से कहा गया था कि चुनाव अक्टूबर तक करा लिए जाएंगे। इसके साथ ही निकाय चुनाव को लेकर महफिल सजना शुरू हो गई। दावेदार बाहर निकलकर आने लगे। कोई अपना परिचय भाई मेयर तो कोई नगर पालिका एवं नगर पंचायत प्रत्याशी के रूप में दे रहा है। इसी बीच विधानसभा सत्र के दौरान ओबीसी आरक्षण का मामला प्रवर समिति को दिए जाने के बाद से कुछ लोग कहने लगे थे कि सरकार की चुनाव कराने की मंशा ही नहीं है। हुआ भी कुछ ऐसा ही। इसी बीच उत्तराखंड शासन के सचिव नितेश कुमार झा की ओर से एक निर्देश जारी किया गया है कि ओबीसी के परिसीमन को देखते हुए प्रशासकों का कार्यकाल एक साल या आगामी बोर्ड के गठन तक बढ़ाया जाता है।
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