विनीत त्यागी
रक्षाबंधन पर इस बार 181 साल बाद अनुठा संयोग
रूड़कीं: रक्षाबंधन का पर्व इस बार सात शुभ योग में मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 19 अगस्त को दोपहर एक बजकर 30 मिनट के बाद रक्षासूत्र बांधने का समय उपयुक्त होगा। इससे पूर्व मकर राशि की भद्रा पाताल लोक निवासिनी होने से रक्षाबंधन नहीं किया जा सकेगा। जबकि आवश्यक स्थिति में भद्रा पुच्छ काल सुबह लगभग नौ बजकर 50 मिनट से लेकर दस बजकर 50 मिनट के मध्य बहनें भाई की कलाई में राखी बांध सकती हैं।
श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। इस बार 19 अगस्त को मनाए जाने वाले रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का साया होने से समय को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा भी प्रारंभ हो जाएगी। जो दोपहर में एक बजकर 30 मिनट तक व्याप्त रहेगी। भद्रा पाताल लोक निवासिनी होगी। फिर भी भद्रा काल में रक्षाबंधन मनाना पूर्ण रूप निषेध माना गया है। उन्होंने बताया कि भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री तथा शनि देव की बहन है। उन्हें ब्रह्मा से वरदान प्राप्त है कि जिस समय वह पृथ्वी लोक पर विचरण करेगी उस समय व्यक्ति के द्वारा किए हुए सभी शुभ कार्यों का नाश होगा। इसलिए भद्रा काल के दौरान दो चीज विशेष रूप से वर्जित की गई हैं। पहला श्रावणी यानी रक्षाबंधन और दूसरा फाल्गुनी यानी होलिका दहन। इसलिए 19 अगस्त को दोपहर एक बजकर 30 मिनट पर भद्रा समाप्ति के बाद से लेकर शाम चार बजकर 15 मिनट के मध्य भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधने का सबसे उपयुक्त समय होगा। आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि इस वर्ष रक्षाबंधन की खास बात यह है कि लगभग 181 वर्षों के बाद सात विशेष योग का निर्माण हो रहा है। पहला लक्ष्मी नारायण योग, दूसरा बुधादित्य योग, तीसरा शुक्र आदित्य योग, चौथा शश नामक राजयोग, पांचवा सर्वार्थ सिद्धि योग, छठा रवि योग तथा सातवां धनिष्ठा नक्षत्र योग। ऐसे में मां सरस्वती के साथ मां लक्ष्मी और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होगी। वहीं इस दौरान किए गए सभी शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होगी।
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